कभी छलकती आँखों में आंसू छुपा जाते हैं
कभी धड़कते दिल में आरज़ू छुपा जाते हैं
कभी मचलते मौसम में शरारत छुपा जाते हैं
और कभी भागती ज़िन्दगी में अरमान छुपा जाते हैं
कभी उलझते रिश्तों में एहसास छुपा जाते हैं
कभी लिखी हुई बातों में अलफ़ाज़ छुपा जाते हैं
कभी कहे हुए लफ़्ज़ों में मायने छुपा जाते हैं
और कभी गुज़रती यादों में जज़्बात छुपा जाते हैं
कभी ख़ुशी की लहर में ग़म छुपा जाते हैं
कभी दुश्मनी की फ़िराक में दोस्ती छुपा जाते हैं
कभी अजनबी महफ़िल में अपनापन छुपा जाते हैं
और कभी चेहरे की ख्वाइश में पहचान छुपा जाते हैं
बस यूँ ही हम ज़िन्दगी से बेवफाई करते चले जाते हैं
वो जवाब मांगती है और हम सवाल पूछते चले जाते हैं
Saturday, March 17, 2018
छुपा जाते हैं
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